बैसाखी-पूजा-स्नान
बैसाखी पूजा – स्नान
सूर्य का मेष राशि में प्रवेश करने पर बैसाखी का त्यौहार हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही मनाया जाता है।
Price : Rs 3,300
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी बैसाखी त्यौहार बहुत ही शुभ व मंगलकारी होता है क्योंकि इस दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है इसलिये इस दिन बैसाख महीने की शुरुआत भी मानी जाती है वहीं सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से इसे मेष सक्रांति भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार लोगों के राशिफल पर इसका सकारात्मक व नकारात्मक रुप से प्रभाव पड़ता है। इसलिये अधिकतर हिंदू कलैंडर इस दिन को नये साल की शुरुआत मानते हैं इसे सौर नववर्ष भी कहा जाता है। मेष संक्राति के कारण पवर्तीय इलकों में मेलों के आयोजन होता है व देवी की पूजा की जाती है।
बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। कुल मिलाकर, वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है।
यह सेवा सिर्फ “धर्मनगरी-हरिद्वार” में उपलब्ध है।
-
मोक्षप्रदा पतित-पावनी माँ श्री गंगा जी की धरती व देवभूमि के द्वार हरिद्वार की पावन धरा पर हम आपको पूजा-पाठ, दान-पुण्य एवं तीर्थयात्रा करने की समस्त सुविधाएं व सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
-
धर्मनगरी हरिद्वार में किये गये पूजा-पाठ, दान-पुण्य का सर्वाधिक और अलौकिक लाभ व्यक्ति को मिलता है।
-
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार धर्मनगरी हरिद्वार को ही पूजा-पाठ, दान-पुण्य करने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ, महत्वपूर्ण, उत्तम एवं उपयुक्त तीर्थ-स्थान माना गया है, एवं चारधाम तीर्थयात्रा तो होती ही शुरू “धर्मनगरी हरिद्वार” से है।
-
पुराणों व शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार हरिद्वार जा के गंगा स्नान कर पूजा-पाठ व दान पुण्य करना चाहिये, क्योंकि इससे व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरिद्वार को “मोक्ष का द्वार” भी कहा जाता है।
-
धर्मनगरी हरिद्वार भगवान शिव जी, भगवान विष्णु जी और माँ श्री गंगा जी की भूमि है, इसलिये इसको“देवताओं का प्रवेश द्वार” कहते हैं।
-
हरिद्वार को “धर्मनगरी”,”माँ श्री गंगा जी की धरती”,”कुम्भ-नगरी”,”देवनगरी”, “मोक्ष का द्वार”, “देवताओं का प्रवेश द्वार” , “हरि का द्वार”, आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान शंकर जी की ससुराल “कनखल” भी हरिद्वार में ही है।इसलिये हरिद्वार को विश्व की “आध्यात्मिक राजधानी” कहा जाता है।
यह वेबसाइट www.snatandharmkarm.com धार्मिक ट्रस्ट “उमा महेश्वर सेवा ट्रस्ट” द्वारा संचालित है।
बैसाखी पूजा एवं स्नान प्रक्रिया विवरण :-
-
पूजा के लिये दिनों की कुल संख्या : 1 no.
-
स्नान के लिये दिनों की कुल संख्या : 1 no.
-
पूजा के लिये पंडितों की कुल संख्या : 1 no.
चैरिटी : Rs. 3,300/Couple/Head
-
पूजा के लिये समस्त पूजन सामग्री : Rs. 1100
-
पूजा के लिये प्रत्येक पंडित को दक्षिणा : Rs. 1100
-
पूजा के लिये एक दिन का यज्ञशाला के लिये दान : Rs. 1100 (Optional)





