हरिद्वार-दर्शन
हरिद्वार दर्शन
हम आपकी यह हरिद्वार दर्शन यात्रा सड़क मार्ग द्वारा “5 दिन और 4 रात” में Ex- हरिद्वार से पूरे विधि-विधान द्वारा संपन्न करवाते हैं। हरिद्वार को विश्व की “आध्यात्मिक राजधानी” कहा जाता है।
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हरिद्वार दर्शन
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धर्मनगरी हरिद्वार में किये गये पूजा-पाठ, दान-पुण्य का सर्वाधिक और अलौकिक लाभ व्यक्ति को मिलता है।
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पुराणों और शास्त्रों के अनुसार धर्मनगरी हरिद्वार को ही पूजा-पाठ, दान-पुण्य करने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ, महत्वपूर्ण, उत्तम एवं उपयुक्त तीर्थ-स्थान माना गया है, एवं चारधाम तीर्थयात्रा तो होती ही शुरू “धर्मनगरी हरिद्वार” से है।
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पुराणों व शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार हरिद्वार जा के गंगा स्नान कर पूजा-पाठ व दान पुण्य करना चाहिये, क्योंकि इससे व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरिद्वार को “मोक्ष का द्वार” भी कहा जाता है।
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धर्मनगरी हरिद्वार भगवान शिव जी, भगवान विष्णु जी और माँ श्री गंगा जी की भूमि है, इसलिये इसको “देवताओं का प्रवेश द्वार” कहते हैं।
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हरिद्वार को “धर्मनगरी”, “माँ श्री गंगा जी की धरती”, “कुम्भ-नगरी”, “देवनगरी”, “मोक्ष का द्वार”, “देवताओं का प्रवेश द्वार” , “हरि का द्वार”, आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान शंकर जी की ससुराल “कनखल” भी हरिद्वार में ही है। इसलिये हरिद्वार को विश्व की “आध्यात्मिक राजधानी” कहा जाता है।
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जूना अखाड़ा भैरव घाट पर श्री गंगा जी स्नान
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हरिद्वार दर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम श्री गंगा जी स्नान से ही होगी।
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जूना भैरव घाट जूना अखाड़ा में ही स्थित है।
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जूना भैरव घाट बाबा भैरव जी के मन्दिर से चंद कदमों पर ही स्थित है।
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किसी भी कार्य को करने से पहले श्री गंगा जी स्नान को शुभ माना जाता एंव कार्य सफल होता है।
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जूना भैरव घाट पर श्री गंगा जी स्नान के उपरांत सर्वप्रथम हरिद्वार (माया नगरी) के कोतवाल श्री भैरव बाबा जी पूजा होगी (मन्दिर के पुजारी द्वारा विशेषकर)।
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भैरव जी की पूजा
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सात पौराणिक पुरी में से एक हरिद्वार (हरि का द्वार) को मायापुरी कहा गया है। इसको इसको भगवान विष्णु तक पहुंचने का द्वार भी कहते हैं
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भैरव बाबा हरिद्वार (मायापुरी) के कोतवाल है, इलिये सबसे पहले इनका पूजन किया जाता है| तत्पश्चात हि बाकि सब पूजा विधीवत होती है।
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शिवपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को दोपहर में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी।
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पुराणों के अनुसार अंधकासुर दैत्य ने एक बार अपनी क्षमताओं को भूलकर अहंकार में भगवान शिव के ऊपर हमला कर दिया। उसके संहार के लिए शिव के खून से भैरव की उत्पत्ति हुई। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं।
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इसलिए शिव की आराधना से पहले भैरव उपासना का विधान बताया गया है। उनकी साधना से समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है। भैरव साधना करने वाले व्यक्ति को सांसारिक दुखों से छुटकारा मिल जाता है।
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माँ माया देवी जी पूजा
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माँ माया देवी जी हरिद्वार (मायापुरी) की कुलदेवी हैं।
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हरिद्वार (मायापुरी) के कोतवाल भैरव बाबा जी की पूजा के बाद कुलदेवी माँ माया देवी जी की पूजा की जाती है।
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माँ मनसा देवी जी की पूजा
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हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी मनसा का प्रसिद्ध स्थान है।
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51 शक्तीपीठो मे से एक शक्ती पीठ माँ मनसा देवी जी की है।
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माँ मनसा देवी जी मनोकामना (मनसा) पूर्ण करे वाली देवी है। और अपने भक्तो की मनोकामना (मनसा) पूर्ण करती है।
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मनसा देवी की साधना करने से कैसा भी सर्पदोष हो समाप्त हो जाता है।
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आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मनसा देवी की आराधना करना उत्तम रहता है।
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अगर आपके घर में बाधायें बनी रहती है तो मनसा देवी की नियमित पूजा करें। हर बाधा समाप्त हो जायेगी।
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किसी के उपर भूत-प्रेत आदि शक्तियों का साया मडरा रहा है तो मनसा देवी की आराधना करने से लाभ मिलता है।
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जिस व्यक्ति काफी दवा करने के बाद भी रोग ठीक नहीं होता है, उसे मनसा देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से वह शीघ्र ही स्वस्थ्य हो जायेगा।
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जिन माताओं बहनों को शारीरिक पीड़ा बनी रहती है, उन्हें मनसा देवी का पूजन करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
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माँ चंडी देवी जी की पूजा
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हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है।
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51 शक्तीपीठो मे से एक शक्ती पीठ माँ चंडी देवी जी की है।
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माँ चण्डी देवी जी अपने भक्तों के दुःखों को नष्ट करती हैं।
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माँ चंडी देवी जी अपने भक्तों की शत्रुओं से भी रक्षा करती है।
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माँ चंडी देवी जी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करती है।
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जूना अखाडा के सन्यासियोँ द्वारा सनातन धर्म ज्ञान
।।धर्मो रक्षति रक्षितः।।
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सर्वप्रथम जुना अखाड़ा के भैरव घाट पर गंगा स्नान।
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जूना अखाड़ा के सन्यासियों के द्वारा वैदिक सनातन धर्म ज्ञान। (अगर आप भाग्यशाली है तो आपको जूना अखाड़ा के श्री महंत मनोहर पुरी जी द्वारा सनातन धर्म व्याख्यान ज्ञान भी प्राप्त हो सकता है।)
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धर्म रक्षा।
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विस्तृत रूप से सनातन धर्म, तीर्थयात्रा और हरिद्वार दर्शन पर ज्ञान व्याख्यान।
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दरिद्रभंजन महादेव जी
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दरिद्रभंजन महादेव जी दरीद्रता को नष्ट करते हैं।
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दरिद्रभंजन महादेव जी सब विपत्तियो को नष्ट करते हैं एव सभी बिगडे काम बानाते है।
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दक्षेश्वर महादेव जी दर्शन व पूजा
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पुराणों के अनुसार दक्ष पुत्री और भगवान शिव की पत्नी सती भगवान शिव के अपमान से आहत होकर यज्ञ कुंड में कूदकर भस्म हो गई थीं।
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हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर माता जी के सती होने का प्रसिद्ध स्थान है दक्ष।
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कनखल भगवान महादेव जी की ससुराल है, यहीँ पर राजा दक्ष जी का महल हुआ करता था। और इसी स्थान पर माता सती जी की सती होने के बाद, भगवान भोलेनाथ जी ने क्रोधित हो के राजा दक्ष जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था।
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फ़िर सब देवों की विनती पर भगवान महादेव जी ने राजा दक्ष को पुन: जीवन दान दिया था।
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दक्षेश्वर महादेव जी की विधिवत पूजा करने से अलौकिक लाभ मिलते हैं।
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बिल्वकेश्वर महादेव जी दर्शन व पूजा
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पुराणों के मुताबिक माँ पार्वती जी ने में बिल्व वृक्ष के नीचे 3000 साल तक भगवान शिव जी को वर के रूप में चाहने के लिए तपस्या की थी जिसके बाद भगवान भोले नाथ ने प्रसन्न होकर वर के रूप में विवाह का आशीर्वाद दिया था।
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मान्यता है कि यहां शिव-पार्वती जी की पूजा करने से मनचाही मुराद मिलती है।
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V.I.P माँ गंगा जी पूजा एवं स्नान
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गंगा जी ब्रह्मकुंड “हर-की-पौड़ी” (पुराणों के अनुसार ब्रह्मकुंड में ही अमृत की बूंदे गिरी थी)।
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माँ गंगा जी मुक्ति का मार्ग है।
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माँ गंगा जी नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है।
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मान्यता अनुसार गंगा जी में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है।
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लोग गंगा जी के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं।
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गंगाजल को अमृत समान माना गया है।
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गंगा जी पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है।
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मान्यता है कि गंगा जी पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
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विधिविधान से गंगा जी पूजन करना अमोघ फलदायक होता है। गंगा जी स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है।
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अमावस्या दिन गंगा जी स्नान और पितरों के निमित तर्पण व पिंडदान करने से सदगती प्राप्त होती है, और यही शास्त्रीय विधान भी है।
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अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा जी से सीधा संबंध है मकर संक्राति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा जी में स्नान, दान एवं दर्शन करना अति महत्त्वपूर्ण समझा एंव माना गया है।
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नीलकंठ महादेव जी
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भगवान शिव के अनगिनत नामों में एक नाम है नीलकंठ।भोलेनाथ को उनके भक्त नीलकंठ के नाम से भी जानते हैं।
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समुद्र मंथन के दौरान कालकुट विष भी निकला. अच्छी चीजों को लेने के लिए तो असुर और सुर दोनों तैयार थे, पर विष लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. सबसे खतरनाक बात यह थी कि अगर विष का एक भी बूंद धरती पर गिर जाती तो तबाही मच जाती. ऐसे में भगवान शंकर ने लोगों की रक्षा करने के लिए समुद्र से निकले विष को पी लिया. और उसे अपने गले (कंठ) मे रोक लिया, इससे उनका कंठ नीला हो गया।
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मंदिर के समीप पानी का झरना भी है, जहां श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
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शाम की श्री गंगा जी आरती
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विश्व प्रसिद्ध श्री गंगा जी आरती को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।
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यह आयोजन बहुत भव्य और अलौकिक होता है।
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यात्रा कार्यक्रम/Itinerary
Itinerary :- ऋषिकेश दर्शन (5 Days & 4 Nights)
Day 01 :- हरिद्वार पहुंचने पर
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हमारे प्रतिनिधि हरिद्वार रेल्वे स्टेशन/ बस स्टैंड/ जौलीग्रांट हवाई-अड्डे पर आपका स्वागत एवं रिसीव करेंगें।
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हरिद्वार पहुंचने पर होटल में Check-In करें।
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Day 02 :- दर्शन
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जूना अखाड़ा भैरव घाट पर श्री गंगा जी स्नान।
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भैरव जी दर्शन व पूजा।
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माँ माया देवी जी दर्शन व पूजा।
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माँ मनसा देवी जी दर्शन व पूजा।
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Day 03 :- दर्शन
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माँ चंडी देवी जी दर्शन व पूजा।
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जूना अखाडा के सन्यासियोँ द्वारा सनातन धर्म ज्ञान।
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दरिद्र भंजन महादेव जी दर्शन व पूजा।
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दक्षेश्वर महादेव जी दर्शन व पूजा।
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बिल्वकेश्वर महादेव जी दर्शन व पूजा।
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Day 04 :- दर्शन
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V.I.P माँ गंगा जी पूजा एवं स्नान।
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नीलकंठ महादेव जी दर्शन व पूजा।
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ऋषिकेश में प्राकृतिक सैर।
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शाम की श्री गंगा जी आरती।
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Day 05 :- हरिद्वार से प्रस्थान
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हरिद्वार से प्रस्थान पर, हम आपको एयरपोर्ट/ बस स्टैंड/ रेलवे स्टेशन जहाँ पर आप चाहें वहाँ पर आपको पहुँचाते हैं।
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भोजन :-
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ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर।
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शुद्ध शाकाहारी/सात्विक (बिना लहसून प्याज के)।
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रोड ट्रिप।
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रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व एयरपोर्ट से पिकअप और ड्रॉप सुविधाएं।
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आपके हरिद्वार आगमन पर आपको फ्री होटल एवं फ्री वाहन सुविधा।
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यात्रा में समस्त भोजन (ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर)।
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डीलक्स होटल में आवासीय सुविधा।
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मार्ग में कोई भी निजी खर्च जैसे टेलीफोन कॉल, टिप्स और लांड्रि आदि।
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वीडियोग्राफी।
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इंश्योरेंस/बीमा :- Optional
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पूजा शुल्क का भुगतान सीधे यात्रियों को करना होगा।
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किसी भी परिचालन या मौसम परिवर्तन आदि के कारण कोई दावा या विलंब शुल्क। या कोई अन्य चीजें जो लागत में उल्लिखित नहीं हैं।
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टैक्स, ईंधन, रॉयल्टी शुल्क, आदि में किसी तरह की नई वृद्धि से परिवहन और व्यवस्था की लागत में वृद्धि सम्भव है, जो प्रस्थान करने से पहले प्रभावी हो सकती है।
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यात्रा राशि का 50% जमा करके अग्रिम बुकिंग की जा सकती है और शेष राशि यात्रा की तारीख से 15 दिन पहले जमा करनी होगी।
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यदि यात्रा निर्धारित समय के भीतर समाप्त नहीं होती है और यात्री खराब मौसम की स्थिति / तकनीकी कारणों से एक या अधिक धामों की यात्रा करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो संस्था निर्धारित समय के भीतर सभी स्थानों पर जाने का प्रयास करेगी। हालांकि यदि यह संभव नहीं है, तो जो भी खर्चा बढ़ेगा वो यात्रियों द्वारा वहन किया जायेगा।
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अगली तारीख को बुकिंग का पुनर्निर्धारण उपलब्धता के अधीन और लागत के 10% के अतिरिक्त भुगतान पर किया जाएगा। इसकी अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब यात्रा की तारीख से 15 दिन पहले आवेदन किया गया हो। यदि यात्रा के 15 दिनों से कम समय के लिए पुनर्निर्धारण का अनुरोध किया जाता है, तो बुकिंग को रद्द माना जाएगा और उपलब्धता के अधीन एक नई बुकिंग दी जाएगी।
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खराब मौसम की स्थिति में यदि आप किसी भी दिनों में से किसी विशेष दिन खराब मौसम की स्थिति में फंसे हुए हैं तो भी हम अगले दिन दर्शन करावाने का प्रयास करेंगे। यदि हम खराब मौसम की वजह से किसी भी धाम की यात्रा करने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, तो यात्रियों द्वारा विचार विमर्श कर आगे का कार्यक्रम तय किया जायेगा, पर यात्रा को लेकर सारे अधिकार संस्था के अधीन होंगें और संस्था का निर्णय ही मान्य होगा।

















