शारदीय (अश्विन) नवरात्रि पूजा
शारदीय (अश्विन) नवरात्रि पूजा
शारदीय मास की नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस समय में किया गया जप,तप और हवन साधक को विशेष लाभ पहुंचाता है। शारदीय नवरात्रि के नवें दिन महानवमी का त्योहार मनाया जाता है।
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चैत्र मास की नवरात्रि के बाद अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रों को विशेष महत्व दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई साधक पूरी श्रद्धा के साथ इन नौ दिनों में मां दुर्गा की आराधना करता है तो न केवल उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं बल्कि उसे जीवन के सभी सुख भी प्राप्त होते हैं।
नवरात्रि साल में चार बार आती है। जिसमें से पहली नवरात्रि चैत्र मास में आती है तो दूसरी नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रियां होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास और अश्विन मास की नवरात्रि को ही विशेष माना जाता है। शारदीय मास की नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस समय में किया गया जप,तप और हवन साधक को विशेष लाभ पहुंचाता है।
शारदीय नवरात्रि के नवें दिन महानवमी का त्योहार मनाया जाता है और मां दुर्गा को विदा कर दिया जाता है। इसके बाद महनवमी के अगले दिन विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा – अर्चना और व्रत करने से न केवल जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती है। बल्कि जो लोग इन नवरात्रों में सिद्धियों के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं उन्हें सिद्धियां भी प्राप्त होती है।
यह सेवा सिर्फ “धर्मनगरी-हरिद्वार” में उपलब्ध है।
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मोक्षप्रदा पतित-पावनी माँ श्री गंगा जी की धरती व देवभूमि के द्वार हरिद्वार की पावन धरा पर हम आपको पूजा-पाठ, दान-पुण्य एवं तीर्थयात्रा करने की समस्त सुविधाएं व सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
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धर्मनगरी हरिद्वार में किये गये पूजा-पाठ, दान-पुण्य का सर्वाधिक और अलौकिक लाभ व्यक्ति को मिलता है।
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पुराणों और शास्त्रों के अनुसार धर्मनगरी हरिद्वार को ही पूजा-पाठ, दान-पुण्य करने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ, महत्वपूर्ण, उत्तम एवं उपयुक्त तीर्थ-स्थान माना गया है, एवं चारधाम तीर्थयात्रा तो होती ही शुरू “धर्मनगरी हरिद्वार” से है।
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पुराणों व शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार हरिद्वार जा के गंगा स्नान कर पूजा-पाठ व दान पुण्य करना चाहिये, क्योंकि इससे व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरिद्वार को “मोक्ष का द्वार” भी कहा जाता है।
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धर्मनगरी हरिद्वार भगवान शिव जी, भगवान विष्णु जी और माँ श्री गंगा जी की भूमि है, इसलिये इसको“देवताओं का प्रवेश द्वार” कहते हैं।
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हरिद्वार को “धर्मनगरी”,”माँ श्री गंगा जी की धरती”,”कुम्भ-नगरी”,”देवनगरी”, “मोक्ष का द्वार”, “देवताओं का प्रवेश द्वार” , “हरि का द्वार”, आदि नामों से भी जाना जाता है। भगवान शंकर जी की ससुराल “कनखल” भी हरिद्वार में ही है।इसलिये हरिद्वार को विश्व की “आध्यात्मिक राजधानी” कहा जाता है।
यह वेबसाइट www.snatandharmkarm.com धार्मिक ट्रस्ट “उमा महेश्वर सेवा ट्रस्ट” द्वारा संचालित है।
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समस्याएं समाप्त होती हैं।
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मनोकामना पूर्ण होती है।
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दरिद्रता दूर होती है।
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सौभाग्य प्राप्त होता है।
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घर में समृद्धि बनी रहती है।
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सिद्धियाँ सिद्ध होती हैं।
शारदीय (अश्विन) नवरात्रि पूजा प्रक्रिया विवरण :-
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पूजा के लिये दिनों की कुल संख्या : 9 no.
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पूजा के लिये पंडितों की कुल संख्या : 9 no.
चैरिटी : Rs. 24,900/Couple/Head
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पूजा के लिये समस्त पूजन सामग्री : Rs. 1100 (प्रथम दिन) + 500/दिन
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पूजा के लिये प्रत्येक पंडित को दक्षिणा : Rs. 1100/पंडित/दिन
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पूजा के लिये एक दिन का यज्ञशाला के लिये दान : Rs. 1100/दिन (Optional)





