पितृ यज्ञ

  • पितरो को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को शास्त्र में पितृयज्ञ से संम्बोदधित किया गया है।

  • पितरों की प्रसन्ता के लिये धर्म के नियमानुसार हविष्ययुक्त पिंड प्रदान आदि कर्म करना ही श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध करने से पितरों कों संतुष्टि मिलती है और वे सदा प्रसन्न रहते हैं और वे श्राद्ध कर्ता को दीर्घायू प्रसिध्दि, सोभाग्यता, एवं निरोग आदि का शुभ आशिष प्रदान करते हैं ।

पितृ यज्ञ में निम्नलिखित कार्य आते हैं :-

    1. पितरों के लिए/पितरों से जुड़े सभी प्रकार के कर्म

    2. नारायण बलि श्राद्ध

    3. त्रिपिंडी श्राद्ध

    4. सामान्य श्राद्ध

नारायण बलि श्राद्ध – पूजा

नारायण बलि श्राद्ध – पूजा

त्रिपिंडी श्राद्ध – पूजा

त्रिपिंडी श्राद्ध – पूजा

सामान्य श्राद्ध – पूजा

सामान्य श्राद्ध – पूजा

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